उन्नत स्तन नारी सौन्दर्य

उन्नत स्तन नारी सौन्दर्य

सुख सागर आयुर्वेदा पिछले कई दशकों से लोगों की जटिल से जटिल बिमारियों का उपचार कर रहे हैं। हमारे वैध श्री शंकर दास बहुत ही कुशल एवं अनुभवी वैध है, जो कठिन से कठिन और पुरानी से पुरानी बिमारियों का सरलता से इलाज करते हैं। अगर आप के जीवन में कोई बीमारी है जो काफी लम्बे अरसे से चल रही है और ठीक नहीं हो पा रही है तो आप हमसे निःसकोच सम्पर्क कर सकते है।

सुडौल, पुष्ट और उन्नत स्तन नारी सौन्दर्य का आकर्षण-केन्द्र हैं लेकिन जब महिलाएँ अपने स्तन की ठीक से देखभाल नहीं करती तो सौंदर्य को एक नया आयाम प्रदान करने वाले यही स्तन ढीले और बेडौल होकर उनकी सुंदरता में बाधक बन जाते हैं।
लड़कियों में स्तन का उभार आना सामान्य तौर पर 10 से 12 वर्ष की आयु में शुरू होता है और यह प्रक्रिया 18 वर्ष की आयु तक जारी रहती है। हालांकि खास तरह के ऊतकों एवं वसा (चर्बी) से निर्मित स्तन का ऊतकीय विकास वयःसंधि काल में ही पूरा हो जाता है। फिर भी शरीर पर चर्बी बढ़ने और घटने के साथ उनके आकार में वृद्धि या कमी हो सकती है।

किसी स्त्री में चर्बी शरीर के किस भाग में ज्यादा चढ़ती है यह आनुवांशिक कारणों पर निर्भर करता है। इन्हीं कारणों का सीधा संबंध स्तन के आकार से होता है। कुछ महिलाओं के स्तन जन्म से ही छोटे होते हैं तो कुछ महिलाओं में शादी अथवा गर्भधारण के बाद हार्मोन संबंधी असंतुलन पैदा हो जाने के कारण स्तन में एट्रोपी हो जाती है जिससे स्तन छोटे हो जाते हैं।

स्तन के सही आकार को लेकर कई महिलायें अक्सर अवसाद एवं कुंठा से ग्रस्त हो जाती हैं जिससे उनके स्वास्थ्य पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। व्यायाम के द्वारा वक्ष सुडौल बनाए जा सकते हैं, व दवाईयों और मसाज से बढाए जा सकते।
ये आवश्यक है कि स्तन की देखभाल एवं उचित माप एवं गुणवत्ता के ब्रा की मदद से स्तनों के ढीलापन और अन्य खामियों को काफी हद तक छुपाया जा सकता है तथा सुंदर, आकर्षक एवं सुडौल स्तनों को और भी अधिक सुंदर, आकर्षक एवं उत्तेजक दर्शाया जा सकता है। अगर महिलाएं किशोरावस्था से ही उचित आकार का ब्रा पहनने लगे तो उनके स्तन की सुंदरता लंबे समय तक बरकरार रहती है और उनमें अपने स्तन को लेकर हीन भावना नहीं आती है।

ब्रा का चुनाव स्तनों के विकास क्रम को ध्यान में रखकर भी किया जाना चाहिये। स्तन विकास क्रम के दौरान स्तनों की देखभाल पर विशेष ध्यान देना जरूरी है वरना इनका आकार बिगड़ सकता है। लेकिन स्तनों का विकास शुरू होते ही ब्रा नहीं पहनना चाहिए, क्योंकि स्तन के विकास के दौरान ब्रा पहनने पर उसके विकास में बाधा पहुंच सकती है जिससे बाद में बच्चों को स्तनपान कराने में दिक्कत आ सकती है। इसलिए 17 साल की उम्र के बाद जब स्तन को सहारे की आवश्यकता हो, तभी ब्रा का इस्तेमाल करना चाहिए।

बाजार में कई तरह की ब्रा मिलती है जैसे- गर्म, मोटी, फोम युक्त, नायलोन, कृत्रिम रेशों से निर्मित सिंथेटिक, अधिक कसी हुई, उन्नत नोकों वाली पैडदार, चुस्त पैड वाली तथा विभिन्न आकर्षक डिजाइनों की कलात्मक ब्रा। आजकल ऐसी ब्रा भी मिलती हैं जिन्हें पहनने से अविकसित या अर्द्धविकसित स्तन विकसित, अति विकसित स्तन छोटा तथा सामान्य स्तन भी आकर्षक दिख सकते हैं। लेकिन नायलोन और फोम युक्त ब्रा की तुलना में सूती और सस्ते कपड़ों से बनी सादी ब्रा पहनना स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है क्योंकि ये हल्की और शीतल होती हैं, इनमें पसीना सोखने की क्षमता होती है जिससे स्तनों का तापमान नहीं बढ़ता।

इसके विपरीत अत्यधिक कसी हुई, मोटी, नायलोन और कृत्रिम रेशों से बनी सिंथेटिक ब्रा पहनने से पसीना सूख नहीं पाता और स्तनों के ऊतक आवश्यकता से अधिक गर्म हो जाते हैं जिससे स्तन कैंसर होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। जबकि सूती कपड़ों की बनी उचित आकार की ब्रा स्तनों को शीतलता प्रदान करती है जिससे स्तन कैंसर की संभावना कम हो जाती है।

ब्रा का उपयोग आयु और अवसर के अनुसार ही करना चाहिए। किसी पार्टी में जाना हो तो चुस्त पैड वाली, स्कूल-कॉलेज जाना हो या घर में रहना हो तो बिना पैड वाली, अविकसित स्तन के लिए पैड वाली ब्रा पहनना चाहिए, लेकिन घर वापस आने पर सूती कपड़े वाली ब्रा पहन लेना चाहिए तथा रात में सोते समय ब्रा को उतार देना चाहिए। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को मैटरनिटी ब्रा का उपयोग करना चाहिए। इस दौरान स्तनों में हुई वृद्धि के कारण उसी हिसाब से नई ब्रा खरीदें। गर्भधारण के तीसरे महीने से हर वक्त ब्रा पहने रहना चाहिए वरना स्तनों के भार में वृद्धि होने के कारण उनके नीचे लटकने का डर रहता है।

ब्रा का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि वह स्तन पर अनावश्यक दवाब न डाल रही हो। ब्रा आरामदायक, स्तनों को नीचे से सहारा देने वाली, कप्स स्तनों पर बिल्कुल फिट आने वाले तथा उन्हें प्राकृतिक आकार देने वाली हो।
कुछ महिलाओं का स्तन बड़ा होता है, कुछ महिलाओं का स्तन छोटा होता है तो कुछ महिलाओं का एक स्तन बड़ा और एक स्तन छोटा होता है। इन सभी समस्याओं का समाधान स्पंज, फोम, रूई की गद्दी या पैड वाली ब्रा से किया जा सकता है। लेकिन ऐसे ब्रा की सबसे बड़ी खामी यह है कि इन्हें गर्मियों में नहीं पहना जा सकता है।

सही ब्रा से स्तन की खामियों को छिपाया जा सकता है लेकिन कई बार शारीरिक कद-काठी के अनुरूप स्तन नहीं होते। कई महिलाओं में या तो स्तन असामान्य रूप से बहुत बड़े होते हैं या बहुत छोटे होते हैं। इन खामियों को स्थायी तौर पर दूर करने तथा स्तन को एक नया सौंदर्य प्रदान करने के लिये कॉस्मेटिक सर्जरी की सहायता ली जा सकती है।सिलिकॉन एवं पानी के इंप्लांट की मदद से वक्ष को उन्नत एवं विकसित किया जा सकता है जबकि वसा से अतिरिक्त चर्बी निकाल कर अधिक बड़े स्तन को सही आकार प्रदान किया जा सकता है जो कि महंगा भी है व दर्द भरा भी।
लेकिन आयुर्वेद में मालिश और नियमित आयुर्वेदिक दवाईयों के सेवन से ढीले व छोटे स्तनों का ईलाज सम्भव है अगर आप को कोई शंका हो तो बेझिजक हमें सम्पर्क करें हम आपकी समस्या को दूर करने का पुर्ण सामर्थ्य रखते हैं।

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